रोखड के ग्रामीण झेल रहे हैं आपदा की मार, दो सप्ताह से बंद है सड़क, प्रशासन बेखबर

नैनीताल। आजादी के लगभग आठ दशक बाद भी नैनीताल मंडल मुख्यालय से लगभग 20 से 22 किमी की दूरी पर बसा रोखड़ गांव आपदा और शासन-प्रशासन की मार झेल रहा है।
आज भी ग्रामीणों को यहां पहुंचने के लिये कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। एक अदद कच्ची सड़क तो है लेकिन वह भी समय समय पर दगा दे जाती है। भूस्खलन के चलते सड़क अधिकांश समय बंद रहती है।
आजकल यहां के ग्रामीण पिछले 12-13 दिनों से आपदा की मार झेल रहे हैं। दो सप्ताह से रोखड़ गांव का संपर्क नैनीताल मुख्यालय से कटा हुआ है। जलालगांव से आगे भोटिया पड़ाव के पास दो जगहों में सड़क ढहने और भूस्खलन के चलते मलबा आने से यह मार्ग पूरी तरह से बंद है। इसलिये ग्रामीणों को पांच से छह किमी की पैदल दूरी तय कर आगे की यात्रा करनी पड़ रही है।
रोखड़ निवासी काश्तकार राम सिंह ने दूरभाष पर बताया कि एकमात्र सड़क बंद होने से किसान अपनी आवक को भी नैनीताल या कालाढूंगी मंडी तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। ऐसे में कामकाजी ग्रामीण परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि सूचना प्रोद्योगिकी के युग में भी ग्रामीण मोबाइल नेटवर्क से भी वंचित हैं। रोखड़ गांव में मोबाइल नेटवर्क तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीण प्रशासन तक अपनी गुहार पहुंचाएं भी तो कैसे? उन्होंने कहा कि गांव के ऊंचाई वाले इलाके में कुछ हद तक मोबाइल नेटवर्क आता है लेकिन निचले वाले ग्रामीण आज भी अपनों से बात करने के लिये तरसते रहते हैं।
ऐसे में बच्चे आज भी आनलाइन पढ़ाई और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने से वंचित हैं। गरीब अभिभावकों को बच्चों को गांव से बाहर भेजना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों ने भी ग्रामीणों से मुंह फेर रखा है। कोई सुध लेने वाला नहीं है। ग्रामीण परेशान हैं और पलायन को मजबूर हैं।