26 December 2024

श्रीमद् देवी भागवत चलता फिरता है मानसरोवर-व्यास पंडित मनोज कृष्ण जोशी

0

नैनीताल।‌श्री मां नयना देवी स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर अमर उदय ट्रस्ट नैनीताल द्वारा आयोजित 9 दिवसीय श्रीमद देवी भागवत कथा के सप्तम दिवस पर प्रातःकाल आचार्य नरेंद्र पाण्डे, कैलाश चंद्र लोहनी, ललित जोशी द्वारा समस्त देवी देवताओं का पूजन किया गया। आज कि पूजा के मुख्य यजमान मनोज चौधरी, देवन चौधरी।
कथा के आज सप्तम दिवस कि कथा का शुभारंभ व्यास पण्डित मनोज कृष्ण जोशी जी ने सबसे पहले आयोजकों श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट परिवार उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं का अभिनन्दन किया,आभार व्यक्त किया।श्रीमद् देवी भागवत ग्रन्थ व श्री पुराणों को प्रणाम करने के उपरांत इस स्थान को धारण करने वाली श्री मां नयना देवी को शत-शत नमन किया। तथा
श्री हनुमान जी सुनने के लिए आग्रह किया , आमंत्रित किया। मंगलाचरण करते हुए मेरा जीवन तेरी शरण…भजन से मां का आह्वान किया, जिसमें उपस्थित सभी श्रृद्धालु भक्त जनों ने भी अपनी सहभागिता की।
व्यास जी ने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत चलता फिरता मानसरोवर है। एक मानसरोवर शिव का धाम है कैलाश मानसरोवर। दूसरा श्रीमद् देवी भागवत व्यास सरोवर है। कैलाश मानसरोवर में जाना कठिन है, वहां का मार्ग बड़ा टेड़ा मेड़ा है वहां जाने के लिए पासपोर्ट,बीजा, स्वास्थ्य प्रशिक्षण करवाना पड़ता है। व्यास सरोवर के लिए कुछ भी नहीं करना पड़ता,कोई मनाही नहीं है। वहां जाने के लिए किसी को भी मनाही नहीं है। वहां कोई भी जा सकता है,अच्छा, बुरा,कोई भी बिमार व्यक्ति भी जा सकता है। वहां का जल नीला है जो प्रेम मयी है । मानसरोवर में स्नान करोगे और गहराई में उतरोगे तो डूब जाओगे डूब जाओगे तो मर जाओगे,और यदि व्यास सरोवर में डूबोगे तो भव के पार हो जाओगे ,भव सागर तरह जाओगे। बड़ी ही दिव्य कथा है देवी भगवती की। भगवती का पूजन परिवार में सुख शांति देता है।हम सभी को शक्ति की आराधना अवश्य करनी चाहिए।
इसके बाद व्यास जी ने गायत्री मंत्र कि शक्ति के विषय में विस्तार से जानकारी दी।
इसके उपरांत दक्ष प्रजापति कि कन्याओं कि वंशावली की जानकारी दी। व्यास जी ने कहा कि हमारे कर्मों के संस्कार हमारे रक्त में होते हैं। इसीलिए शास्त्रों ने कहा है कि अपनी जाति कि बेटी और रोटी ही उत्तम होती है। रक्त कि शुद्धि परम आवश्यक है और बहुत जरूरी है। डाक्टर भी रक्त कि जांच करने के उपरान्त ही जिस रक्त समूह का वह व्यक्ति होता है वहीं रक्त उसे चढ़ाता है।यह वैज्ञानिक विषय है।इसका अद्भुत विज्ञान है। व्यास जी ने कहा कि गुरु विरोधी का कभी कल्याण नहीं होता। गुरु विरोधी बालक कमजोर होगा वो हर जगह पराजित होगा गुरूकुल को कभी भी कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
इसके उपरांत पतिब्रत धर्म पर भी विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। व्यास जी ने कहा कि वर्तमान समय में सबसे ज्यादा पतन ब्राह्मण वर्ग का हुआ है।और कभी ब्राह्मण परमात्मा का प्रतीक हुआ करते थे,परमात्मा का स्वरूप हुआ करते थे।इसी श्रृंखला में देव राज इन्द्र को कैसे ब्रह्म हत्या लगी, उनकी पत्नी शची पर किस प्रकार जगदम्बा भगवती ने कृपा की इस कथा को भी विस्तार पूर्वक सुनाया।। प्राचीन काल में देवता भी ब्राह्मणों की बात नहीं टालते थे।
व्यास जी ने कहा कि देवताओं और दानवों का युद्ध अनादि काल से होता आ रहा है।और जब दैत्य भी अपने गुरु का अपमान करते हैं तो नष्ट हो जाते हैं। भगवती का नाम है महामाया। भगवान विष्णु ने नारदजी को जब माया के दर्शन कराये तो उस प्रसंग का भी बड़ा सजीव वर्णन किया। और महर्षि नारद के बहाने हम सब को समझाया कि माया से बचकर रहना चाहिए। कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए।श्री राम चरित मानस, महाभारत के कई प्रसंगों को उदाहरण के रूप में समझाया।
व्यास जी ने कहा कि श्री राम श्री कृष्ण आज भी है बेर और माखन आज भी है कुछ नहीं है तो शबरी नहीं है,मीरा नहीं है।नाव तो आज भी है पर केवट नहीं है। व्यास जी ने कहा कि ईश्वर को अपनी आत्मा समझ कर पूजा करें। हमारी जिंदगी में दिन कम होते जा रहे हैं हमने क्या किया,घाटे का सौदा किया,घाटे कि कमाई कि घाटे कि कमाई कर रहे हैं। यह भजन को सुनाकर उपरोक्त बात को समझाया।बावरे तूने हीरा जनम गवायो….। इसके बाद शक्ति पीठों का वर्णन किया।सती का प्रसंग,सती का अपने पिता के घर जाना, अपने पति का अपमान होता देखकर अपने देह को अग्नि में अर्पित क देना ,वीर भद्र के द्वारा यज्ञ विध्वंस किया जाना, तथा नारायण के द्वारा शुदरशन चक्र से सती के शरीर को नष्ट करना और जहां जहां सती के अंग प्रत्यंग धरा में गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ है।
इसके बाद हिमाचल के घर पार्वती के रूप में जन्म लेना और जन्मके उपरान्त विवाह संस्कार तथा विदाई का भी बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया विवाह गीत – बाबा लेने चले गौरा को हिमालय नगरी…. विवाह के बाद विदाई गीत बहुत ही भावुक पूर्ण भाव से व्यास जी ने अपने संगीत कारों के साथ सुनाया।
व्यास जी ने कहा कि इस धरा पर श्री राम श्री कृष्ण के पुत्रों कि पूजा नहीं होती है किन्तु शिव जी के पुत्रों कि पूजा होती है इतना ही नहीं उनके गणों कि भी पूजा होती है।
व्यास जी ने कहा कि
कल कथा‌ के अष्टम दिवस कि कथा का शुभारंभ 3 बजे से 6 बजे तक होगा। इस उपलक्ष्य पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, घनश्याम लाल साह, प्रदीप साह, महेश लाल साह, हेमन्त साह, श्याम यादव, राजीव दूबे, भीम सिंह कार्की, सुमन साह, मीनू बुधलाकोटी, अमिता साह तथा श्री मां नयना देवी मंदिर के समस्त आचार्य बसन्त बल्लभ पाण्डे, चन्द्र शेखर तिवारी, भुवन चंद्र काण्डपाल,व शैलेन्द्र मिलकानी, गणेश बहुगुणा, नवीन चन्द्र तिवारी, बसन्त जोशी, रमेश ढैला,सुनोज नेगी, जीवन चन्द्र तिवारी, राजेन्द्र बृजवासी, राहुल मेहता,तेज सिंह नेगी आदि कर्मचारी भी मौजूद रहे।
कल सप्तम दिवस के इस महा यज्ञ में आप सभी श्रृद्धालु भक्त जन सादर आमंत्रित हैं।
मां नयना देवी आप सभी का मनोरथ सिद्ध करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

यह भी पढ़ें…

error: Content is protected !!