22 November 2024

कुमाऊं विश्वविद्यालय में तरुण सभा (युवा संसद) का हुआ आयोजन,विपक्ष को आई ओपनर की भूमिका में होना चाहिए और यही एक मजबूत लोकतंत्र का है गुण-सांसद भट्ट

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नैनीताल। संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय युवा संसद योजना के अंतर्गत कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में तरुण सभा (युवा संसद) का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नैनीताल संसदीय सीट के सांसद अजय भट्ट व विधायक सरिता आर्या थी। कार्यक्रम का शुभारंभ कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल के कुलपति प्रो दीवान सिंह रावत, सांसद अजय भट्ट, विधायक सरिता आर्या व निदेशक प्रो0 नीता बोरा शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर आरंभ हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने गोविंद बल्लभ पंत, नारायण दत्त तिवारी और मुरली मनोहर जोशी जैसे उत्तराखंड के सपूतों को याद करते हुए युवा संसद के पक्ष व विपक्ष के सभी नेताओं की सराहना करते हुए उनके तर्क वितर्क व संसद की बहस को अनिवार्य बताया उन्होंने कहा कि विपक्ष को आई ओपनर की भूमिका में होना चाहिए और यही एक मजबूत लोकतंत्र का गुण है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि एक नेता को अपनी जड़ों और जमीन से जुड़ा होने के साथ जनहित को सर्वोपरि रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि चर्चाओं का स्तर उच्च होना चाहिए और हमेशा अध्ययन कर चर्चा में प्रतिभाग करना चाहिए। साथ ही भाषा को लेकर अपने अन्दर हीन भावना नहीं लानी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को नसीहत देते हुए कहा कि अपना दृष्टिकोण हमेशा सार्थक रखें। अपने को किसी से कम न समझें, अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखें और सदैव अपने माता-पिता का सम्मान करें।
विशिष्ट अतिथि व नैनीताल विधानसभा क्षेत्र की विधायक सरिता आर्या ने भी युवा संसद में भाग ले रहे सभी छात्रों के तर्क वितर्क और वाद विवाद की सराहना की तथा विश्वविद्यालय परिवार को इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाइयां दी। उन्होंने लोकतंत्र में संसद में होने वाले वाद-विवाद तथा तर्क-वितर्कों को प्रजातंत्र का एक अनिवार्य अंग बताया और कहा कि हमारी संसदीय प्रणाली के चलते ही भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय अभिभाषण में कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने सभी सत्ता पक्ष व विपक्ष के छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि आगामी भविष्य युवाओं के ही कंधों पर है और इस युवा संसद के माध्यम से सभी युवा छात्र-छात्राओं के मन में तर्क-वितर्क द्वारा एक जनतांत्रिक व वैज्ञानिक सोच विकसित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं द्वारा इस प्रकार की चर्चाएं व वाद-विवाद आगे चलकर उनमें जनतांत्रिक मूल्यों तथा नागरिक बोध पैदा करते हैं। उन्होंने भविष्य में विश्वविद्यालय में इस प्रकार के अन्य कार्यक्रम भी आयोजित करवाने की बात कही जिससे कि छात्र-छात्राओं में चिन्तनशील व तार्किक दृष्टि से सोचने की क्षमता का सृजन हो सके।
डीएसबी कैम्पस की निदेशक प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा ने कहा कि संसदीय मूल्यों को जीवित रखना तथा संसद की परंपरा को बनाए रखने के लिए यह एक अनिवार्य कार्यक्रम है उन्होंने डॉ भीमराव अंबेडकर, राम मनोहर लोहिया और आचार्य कृपलानी जैसे विद्वानों को याद करते हुए संसद में होने वाले वाद विवाद की अनिवार्यता को एक स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए अनिवार्य बताया।
कार्यक्रम में स्वागत करते हुए कार्यक्रम समन्वयक/नोडल अधिकारी डा0 रितेश साह ने बताया कि युवा संसद कार्यक्रम युवाओं में लोकतांत्रिक मूल्यों को विकसित करने के लिए भारत सरकार के संसदीय मामलों के मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। इसकी अवधारणा सबसे पहले 1962 में चौथे अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन के दौरान बनाई गई थी, जिसका पहला युवा संसद सत्र 1966-67 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। संसदीय कार्य मंत्रालय ने नागरिकों के समूह के बीच इस कार्यक्रम को फैलाने और उन्हें हमारे महान लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ने का अवसर देने की पहल की है। युवा संसद संसदीय कार्यवाही का अनुकरण करता है, छात्रों को सार्थक बहस, चर्चा और निर्णय लेने में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह प्रतिभागियों को सरकार की प्रक्रियाओं से परिचित कराता है और सहिष्णुता, विविध विचारों के प्रति सम्मान और आम सहमति बनाने के मूल्यों को स्थापित करता है। संरचित चर्चाओं के माध्यम से, छात्र सामान्य सामाजिक मुद्दों पर अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं और रचनात्मक संवाद के लिए कौशल विकसित करते हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सदस्यों को शपथ दिलाकर प्रारम्भ किया गया। तत्पश्चात् संसदीय कार्यमंत्री द्वारा पटल पर रखे जाने वाले विषयों की सूची प्रस्तुत की गई। लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे कपिल खोलिया ने एक राष्ट्र एक चुनाव के विरोध में अपना तर्क प्रस्तुत किया और कहा की सरकार जनता के चुनाव के अधिकार को सीमित करना चाहती है उन्होंने यह भी कहा कि देश का संघात्मक ढांचा एक राष्ट्र एक चुनाव की अनुमति नहीं देता है। सत्ता पक्ष की ओर से गृहमंत्री की भूमिका निभा रहे अर्नव त्रिपाठी ने एक राष्ट्र एक चुनाव के पक्ष में यह कहते हुए अपनी बात रखी की समय-समय पर चुनाव द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। विपक्ष के सांसदों ने सत्ता पक्ष द्वारा जनगणना में हुई देरी को भी मुद्दा बनाया साथ ही जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण व बाढ़ जैसी समस्याओं को ध्यान में न रखकर अंधाधुंध किया जा रहे विकास पर भी सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा किया गया और कहा कि सरकार की नीतियां सिर्फ कागजों तक सीमित है जनता में कहीं इसका लाभ नहीं पहुंच रहा है। सत्ता पक्ष की ओर से पर्यावरण मंत्री द्वारा आंकड़ों के माध्यम से अपनी सरकार की सफल नीतियों की बात सदन के सामने रखी।
सत्ता पक्ष के एक अन्य सांसद ने जनधन बैंक खाता योजना, आधार पहचान और बढ़़ते इंटरनेट व यूपीआई पेमेंट जैसी उपलब्धियों पर युवा संसद में सरकार का पक्ष रखा और कहा की आज 46 प्रतिशत से अधिक ट्रांजैक्शन भारत में यूपीआई से हो रहे हैं और डिजिटलाइजेशन बढ़ा रहा है। विपक्ष की ओर से सांसद की भूमिका निभा रही पूजा मिश्रा व ओमबिका सिंह ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की विफलता पर सरकार को घेरा उन्होंने कहा कि इसका अधिकतर फंड सिर्फ विज्ञापनों पर खर्च हो रहा है और 2020-21 में इसके लिए जारी बजट का सिर्फ 25 प्रतिशत ही खर्च किया जा सका। सत्ता पक्ष की ओर से महिला एवं बाल विकास मंत्री की भूमिका निभा रही सुहानी जोशी ने 2015 में सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के पक्ष में आंकड़े गिनाकर सरकार का पक्ष रखा।
अंत में प्रधानमंत्री का उद्बोधन हुआ जिसमें प्रधानमंत्री की भूमिका निभा रहे साकेत सिंह बिष्ट ने एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे पर कहा कि हर 3-6 महीने में देश में एक चुनाव हो रहा है जो देश के विकास के मार्ग में बाधक साबित हो रहा है इसलिए एक राष्ट्र एक चुनाव जरूरी है उन्होंने डिजिटल इंडिया द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में नई क्रांति लाने, महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार के प्रयासों, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना तथा नमामि गंगे परियोजना जैसी सरकार की अन्य योजनाओं पर भी प्रकाश डाला और कहा की वर्तमान सरकार भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। कार्तिकेय निगल्टिया ने स्पीकर की भूमिका का शक्ति से निर्वहन कर सभी का मन मोह लिया। नन्दिनी जोशी ने संसदीय कार्यमंत्री, अनिमा सूचना व प्रोद्योगिकी, गृह व नगर नियोजन मंत्री, गौरव सिंह बिष्ट, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री, काजल जलाल द्वारा सार्थक चर्चा की गई। अन्य सांसदों में पूजा जोशी तथा दिव्या पाण्डे, शिवम गंगवार, इशिता, सिद्धि, रोशनी, यश, वर्तिका, रश्मि, द्वारा अपने विचारों के समर्थन में तर्क रख महत्वपूर्ण चर्चा की गई।
कार्यक्रम का संचालन डा0 रितेश साह, सहायक निदेशक/नोडल अधिकारी ने किया। सहायक सह-समन्वयक डा0 पंकज सिंह ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर अधिष्ठाता कला, प्रो0 पदम सिंह बिष्ट, डा0 अशोक उप्रेती, डा0 मनोज बिष्ट, डा0 रूचि मित्तल, डा0 भूमिका प्रसाद, डा0 मोहित रौतेला, डा0 दीपक मेलकानी, किशोर जोशी, पूनम गोस्वामी, खुशबू आर्या, इन्दर प्रसाद, डा0 सरोज शर्मा, पुष्पा अधिकारी, डा0 शिखा रतूड़ी, डा0 लक्ष्मण सिंह, डा0 तेज प्रकाश जोशी, वर्षा पंत, डा0 दीपिका भट्ट, अर्चना वर्मा, प्रयांसी बिष्ट सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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