एक तरफ दुकानदारों ने खरीदी महंगी दुकान दूसरी ओर सरकारी विभागों की निशुल्क मिलने वाली दुकान पड़ी हैं खाली,एनजीओ के अपने प्रोडक्ट तो नहीं बल्कि दुकानों में तल रहे पकौड़े

नैनीताल। नंदा देवी महोत्सव में इस बार मेले में टीन की छत और बल्ली के जरिए दुकानें नहीं बनीं। इन दुकानों को बनाने के लिए पिछली बार पालिका द्वारा लगभग 77 लाख रुपए का टेंडर हुआ था। इस वर्ष कैनोपी की दुकानों का ठेका 55 लख रुपए में दिया गया। टेंडर में दुकानें बेचने के लिए अधिकतम राशि₹30 हजार रुपए रखी गई। टेंडर की धनराशि पिछले वर्ष से कम होने से एक तरफ पालिका को भारी नुकसान उठाना पड़ा तो वहीं ठेकेदार द्वारा टेंडर की शर्तों के विपरीत दुकानदारों को अधिक दामों में दुकानें बेचकर मुनाफा कमाया जा रहा है। लेकिन दुकानदारों ने महंगी दुकान तो खरीद ली लेकिन बारिश के चलते ग्राहकों की टकटकी लगाए दुकानदार खाली बैठे हुए हैं। उनके ऊपर एक तो महंगी दुकान दूसरी ओर बारिश की मार से मेला परिसर में सन्नाटा पड़ा हुआ है।
मजे की बात यह है कि निशुल्क मिली एनजीओ की दुकानों में चाऊमीन, पकौड़ी, मोमो, कॉफी, छोले भटूरे, चाय, ब्रेड पकोड़े, राजमा भात, कढ़ी चावल आदि खाने का समान बेचा जा रहा है। यह दुकानें सिर्फ एनजीओ द्वारा अपने हाथों से बनाए गए प्रोडक्टों को बेचने के लिए निशुल्क दी गई थी लेकिन यहां तो निशुल्क दी गई दुकानों में रेस्टोरेंट चला रखा है। चाहे पालिका हो या मेला अधिकारी सबकी आंखें मूंदी पड़ी हैं।
इसके अलावा एक मजेदार और बात है की मेला परिसर में कैनोपी वाली दुकानें महंगी से महंगी मिल रही है लेकिन सरकारी विभागों के लिए निशुल्क बनी दुकानों को कोई लेने वाला नहीं सारी दुकानें खाली पड़ी हुई हैं। एक स्टॉल पर नेहरू युवा केंद्र खेल मंत्रालय संबंधित बैनर लगाकर दुकानदार बाजार से खरीद कर कंगन और चूड़ियां बेच रहा है। इन सब को कोई भी देखने वाला नहीं है। चौबीस घंटे पालिका के अधिकारी मेला परिसर में भ्रमण करते दिखाई देते हैं लेकिन इन पर भी किसी अधिकारी की नजर नहीं दौड़ रही है।