14 वां जनकवि गिर्दा स्मृति समारोह हुआ आयोजित, जुलूस मैं गाए गए जन कवि गिर्दा के जनगीत, सीआरएसटी इंटर कॉलेज में विभिन्न नाटकों की हुई प्रस्तुति
नैनीताल l गिर्दा स्मृति मंच ने बृहस्पतिवार को गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ की याद में 14वां गिर्दा स्मृति समारोह आयोजित किया। भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल की प्रार्थना सभा में गिर्दा के जनगीतों द्वारा उन्हें याद किया गया। गिर्दा स्मृति मंच ने भी इस कार्यक्रम में भागीदारी की। सायं 4:30 बजे क्रांति चौक तल्लीताल में कलकत्ता, दिल्ली, और उत्तराखंड में हुए बलात्कार और हत्याओं के प्रति विरोध व्यक्त करते हुए मौन रखा गया। इसके उपरान्त सांस्कृतिक जुलूस प्रारम्भ हुआ जिसमें गिर्दा और अन्य कवियों द्वारा रचित जनगीत गाते हुए जुलूस मल्लीताल सीआरएसटी इंटर कॉलेज पहुंचा।
जुलूस में भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय के बच्चों ने छोलिया नृत्य के साथ जुलूस में भागीदारी की। सांस्कृतिक जुलूस में हेमलता तिवारी, पूर्व विधायक डॉ नारायण सिंह जंतवाल, दिनेश उपाध्याय, चंपा उपाध्याय, भारती जोशी, पंकज भट्ट, नवीन बेगाना, प्रताप सिंह खाती, हरीश राणा, हिमानी, अभय बडोला, भूमिका बडोला, राजेश आर्य, नंदी राम, कविता उपाध्याय, कैलाश जोशी, पवन कुमार, मयंक साह, महेश कुमार, चंद्र प्रसाद आदि मौजूद रहे l इसके बाद सीआरएसटी इंटर कॉलेज में समसामयिक विषयों पर सम्बोधन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके बाद युगमंच नैनीताल द्वारा गिर्दा के गीतों और जीवन पर आधारित कार्यक्रम ‘आसां नहीं होता है गिर्दा होना’ का मंचन किया गया। इसका आलेख कहानीकार शेखर जोशी के लेखन पर आधारित था, प्रस्तुति की परिकल्पना ज़हूर आलम की रही, और आख्यान प्रस्तुति प्रदीप पाण्डे द्वारा की गई। इस प्रस्तुति का संगीत नवीन ‘बेगाना’ ने तैयार किया था। कार्यक्रम के अगले क्रम में, तबला वादक अमन महाजन की संस्था ताल साधना अकादमी द्वारा गिर्दा के जनगीतों की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति नाटक ‘राजा के सींग’ के रूप में गिर्दा स्मृति मंच द्वारा की गई। इस नाटक का प्रथम निर्देशन 1990 में स्वयं गिर्दा द्वारा किया गया था। नाटक में राजेश आर्या, हरीश राणा ‘बाबा’, तुहीनांशु तिवाड़ी, पंकज भट्ट, भारती जोशी, पवन कुमार, दिनेश उपाध्याय, प्रकृति सिंह, हिमानी बिष्ट, अभय बडोला, नवीन ‘बेगाना’, संजय कुमार (तबला वादक), भूमिका बडोला, और जावेद हुसैन की विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम का समापन हेमलता तिवाड़ी के संबोधन के बाद किया गया। कार्यक्रम का संचालन नीरज पांगती ने किया।