प्रताप भैय्या काशिक्षा के क्षेत्र में अहम रहा योगदान,14वीं पुण्य तिथि (आज) पर विशेष, भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में आज होंगे विभिन्न कार्यक्रम
नैनीताल। व्यक्ति ऐसे होते हैं जो अपने क्रांतिकारी, नूतन, कर्म और सेवा से आम जनमानस को न केवल नाई दिशा देते हैं बल्कि मृत्यु होने के बाद भी अजर-अमर होकर भविष्य के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत थे प्रताप सिंह उर्फ प्रताप भैच्या। उन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाई बल्कि समाज के समक्ष सर्व धर्म सम्भाव की अभिनव नजीर भी
बता दें कि प्रताप भैय्या का जन्म नैनीताल जिले के च्यूरीगाड़ गांव में 30 दिसंबर 1932 को स्वर्गीय आन सिंह मैम्बर साहब के घर में हुआ था। बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी रहे प्रताप भैय्या ने वर्ष 1957 से लेकर 1962 तक उत्तर प्रदेश को विधान सभा में सबसे कम उम्र के विधायक रहे। इसके अलावा वर्ष 1967 से लेकर 1968 में वह 10 माह के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में ही स्वास्थ्य में सहकारिता
विभाग में कैबिनेट स्तर के सबसे कम उम्र के मंत्री भी रहे।
जहां तक प्रताप भैय्या के शैक्षणिक गतिविधियों का सवाल है. इसमें प्रथम कड़ी के रूप में उन्होंने वर्ष 1959 में थारु इंटर कालेज खटीमा की स्थापना की। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद जवानों के परिवारों की दशा को देखकर स्कूल खोलने की प्रेरणा मिली, इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जवानों की पुण्य स्मृति में तथा
उनके आश्रितों को निरूशुल्क शिक्षा मुहैया कराने के विशेष मकसद से 1 जुलाई 1964 को भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल की स्थापना की। खास बात यह है कि वर्तमान में यह स्कूल भारतीय सांस्कृतिक परिवेश
में यूरोपियन पब्लिक स्कूलों का विकल्प प्रस्तुत करता है। वर्तमान में इस शिक्षण संस्था में 1350 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। प्रताप भैय्या ने महान शिक्षाविद् आचार्य नरेंद्र देव की स्मृति में 1969 में आचार्य नरेंद्र देव शिक्षा निधि की स्थापना को उसके बाद से उन्हीं की प्ररेणा लेकर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 120 से अधिक स्कूल स्थापित किए। उन्होंने वर्ष 1975 में अल्मोड़ा जिले के मानिला स्याल्दे में उच्च शिक्षा केंद्र भी खोले जो बाद में डिग्री कालेज बन गए। खास बात यह रही कि प्रताप भैय्या ने स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए वर्ष 1967 में नैनीताल में नर्सेज प्रशिक्षण केंद्र की भी स्थापना की तब से लेकर आज तक यह केंद गतिमान है। एक बात जो उसमें खास नजर आयी समाज में एकता
व बराबरी स्थापित करने के लिए उन्होंने जाति प्रथा की खिलाफ्त को और उन्होंने अपने नाम के आगे जाति (सरनेम) के बजाए भैय्या शब्द जोड़ा। उसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि वर्तमान में भी नैनीताल के भारतीय शहीद सैनिक स्कूल में छात्र-छात्राओं के नाम के साथ जाति नहीं लिखी जाती है। वास्तव में देखा जाए तो उत्तर प्रदेश लोक रत्न, उत्तरांचल रत्न, लाईफ टाईम एचीवमेंट अवार्ड समेत विभिन्न पुरुस्कारों से नवाजे गए। प्रताप भैय्या सच्चे समाजवादी थे।
आजीवन वह इसी विचारधारा के रहे। वह हमेशा खादी के वस्त्र पहनते तथा पैदल ही वकालत तथा कोर्ट व स्कूल को जाते थे, प्रताप भैय्या चौधरी चरण सिंह, एन.डी. तिवारी, चंद्रशेखर, वीवी गिरी, जैल सिंह तथा नेपाल के प्रधानमंत्री रहे लोकेंद्र बहादुर के काफी करीबी रहे। पूर्व दिवंगत प्रधानमंत्री चंद्रशेखर नैनीताल में उनके 6 मेविला कंपाउंड स्थित आवास में भी रहे। एन.डी. तिवारी जब सोशलिस्ट विचारधारा से जुड़े थे तब उनके साथ प्रताप भैय्या ने खुट खुटानी सुट विनायक अभियान चलाया जिसके तहत श्रमदान से खुटानी से विनायक तक का मार्ग निर्माण किया गया। 23 अगस्त 2010 को उन्होंने अंतिम सांस ली। भले ही प्रताप भैय्या आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
इधर आज प्रताप भैय्या की पुण्यतिथि पर भारतीय शहीद विद्यालय में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।