डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग में हुआ कार्यक्रम, लगाए पौधे, हुई ऑनलाइन संगोष्ठी

नैनीताल। वनस्पति विज्ञान विभाग डी.एस.बी. परिसर नैनीताल में विश्व पर्यावरण दिवस पर थीम “भूमि संरक्षण, रेगिस्तानीकरण और सूखापन सहनशीलता” को अपनाकर एक महत्वपूर्ण तरीके से कार्यक्रम आयोजित किया। हमारे पृथ्वी एवम पर्यावरण के स्वास्थ्य की रक्षा इस समय प्रासंगिक है और हमें हमारी पृथ्वी को स्वच्छ रखने के महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए, पर्यावरण की संरक्षण में जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए, विभाग ने सभी छात्रों के बीच जागरूकता लाने के लिए एक नवाचारी अवधारणा को अपनाया। साथ ही, विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में, परिसर में स्वर्गीय प्रो वाई पीएस पांगते गार्डन में पारिजात और ओक के पौधे लगाए गए।कार्यक्रम में सतत विकास के क्रम में पर्यावरण को संरक्षित रखने का संकल्प लिया गया । कार्यकम में विभागाध्यक्ष डॉ. एस.एस. बर्गली प्रोफेसर ललित मोहन तिवारी, प्रो आशीष तिवारी डॉ. हर्ष चौहान, डॉ. नवीन चन्द्र पाण्डे, डॉ प्रभा पंत, डॉ. हिमानी कार्की, दिशा ,गीतांजलि,लता ,प्रांजलि , गोपाल बिष्ट ,लीला , साहबाज सहित विभाग के कर्मचारी एम.एस.सी. चतुर्थ के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे |
इधर महिला अध्ययन केंद्र कुमाऊं विश्वविद्यालय के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया l संगोष्ठी की मुख्य संयोजक महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा ने प्रारंभ में सभी का स्वागत किया अभिनंदन किया और आज हम ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन क्यों कर रहे हैं ,उसके मंतव्य पर प्रकाश डाला lजिसमें मुख्य वक्ता प्रोफेसर ललित तिवारी निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर कुमाऊं विश्वविद्यालय रहे और विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर पदम सिंह , डॉक्टर महेंद्र राणा, श्रीमती संतोष खन्ना रहीl प्रोफेसर ललित तिवारी ने अत्यंत सारगर्भित उद्बोधन में पर्यावरण दिवस की महत्व इसका उद्देश्य और पर्यावरण दिवस पर हमारा क्या संकल्प होना चाहिए यह बताने का प्रयास किया उन्होंने विस्तार से बताया कि यदि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो किस प्रकार से हमारा स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है lऔर साथ ही हमको विकास के लिए आगे बढ़ते हुए अपने पेड़ पौधों को भी संरक्षण दिया जाना चाहिए lउन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस1972 से क्यों मनाया जाता है इस पर भी बताते हुए पर्यावरण जागरूकता का संदेश दियाl डॉ महेंद्र राणा ने बताया कि हम लोग जिस प्रकार की संस्कृति में जीवंत रहते हैं वह संस्कृति हमको स्वयं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती हैl उन्होंने उत्तराखंड के अंतर्गत ही विभिन्न त्योहारों का उल्लेख करते बताया कि किस प्रकार से हम इन त्योहारों में वृक्षारोपण और पेड़ पौधों को संरक्षण देते हैंl पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रोफेसर सुठा ने पर्यावरण संवेदनशीलता के प्रति सबको संवेदनशील रहना चाहिए बताते हुए कहा कि किस प्रकार से जंगल की आग से प्रकृति को नुकसान होता है और कैसे हम इसके बचाव के लिए प्रयास कर सकते हैंl श्रीमती संतोष खन्ना अध्यक्ष सचिव महिला विधि भारती परिषद नई दिल्ली में भी इस अवसर पर अपने विचारों से कई महत्वपूर्ण समस्याओं की तरफ संकेत किया उन्होंने बताया कि एक सड़क पर जब हजारों गाड़ियां चलती हैं और जाम लगता है lतो ऐसी स्थिति में उसे किस प्रकार से पर्यावरण प्रदूषण होता है इस पर भी हमें विचार करना चाहिएl हम कोई भी सुझाव दें उसको हमको क्रियान्वित करने के लिए भी तैयार करनी चाहिl श्रीमती तारा बोरा भी इस अवसर पर संबोधन करके विभिन्नक्षेत्र में पेड़ पौधों का उल्लेख करते हुए बताया कि हमें किन पेड़ों को लगाना चाहिए और किस ऋतु में लगाना चाहिए ताकि पेड़ लगाए ही नहीं वह स्वयं पल्लवित पुष्पित हो और हमारा उद्देश्य पूर्ण हो lइस अवसर पर मैनपुरी से मैनपुरी से डॉक्टर जान मोहम्मद ने भी संगोष्ठी को संबोधित करके अपनी महत्वपूर्ण विचार दिए डॉ पंकज सिंह ने भी अपने सुझावों से संबोधन किया l इस अवसर पर डॉक्टर प्रोफेसर.suchi bisht, प्रोफेसर कल्पना अग्रहरि, डॉक्टर लज्जा भट्ट,डॉक्टर नीलू लुधियाल डॉक्टर रुचि मित्तल डॉक्टर भूमिका डॉक्टर मोहित रौतेला
प्रोफ़ेसर गीता तिवारी ,डॉक्टर लता जोशी , अविनाश जाटव गीतिका दीपाली मेहरा,डॉक्टर सुषमा टमाटl,दिनेश पालीवाल रंजन बिष्ट ,बबीता ,संतोष ,संदीप गार्गी ,श्रीमती नेहा , कंचन जोशी हिमानी , श्री विशन सिंह मेहता, भावीका बोरा, राकेश कुमार जीतू नेगी, ज्योति, आदि अनेक शोधार्थी विद्यार्थियों ने इसमें भागीदारी की l