मां का प्रेम कभी बूढ़ा नहीं होता-व्यास पण्डित मनोज कृष्ण जोशी
नैनीताल।श्री मां नयना देवी मंदिर के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट नैनीताल द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के छटे दिन प्रातःकाल आचार्य नरेंद्र पाण्डे, कैलाश चंद्र लोहनी, ललित जोशी द्वारा समस्त देवी देवताओं का पूजन किया गया। आज कि पूजा के मुख्य यजमान मनोज चौधरी व देवन चौधरी रहे।
कथा के आज षष्ठम दिवस कि कथा का शुभारंभ व्यास पण्डित मनोज कृष्ण जोशी जी ने सबसे पहले आयोजकों श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट परिवार उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं का अभिनन्दन किया,आभार व्यक्त किया।श्रीमद् देवी भागवत ग्रन्थ व श्री पुराणों को प्रणाम करने के उपरांत इस स्थान को धारण करने वाली श्री मां नयना देवी को शत-शत नमन किया। तथा
श्री हनुमान जी सुनने के लिए आग्रह किया , आमंत्रित किया। मंगलाचरण करते हुए आनन्द मयी चैतन्य मयी भजन से मां का आह्वान किया, जिसमें उपस्थित सभी श्रृद्धालु भक्त जनों ने भी अपनी सहभागिता की।
आज कि कथा का शुभारंभ श्री कृष्ण कथा से आरम्भ हुआ। व्यास जी ने कहा कि योग माया अवतरित हुई और श्री कृष्ण ने कंस का उद्धार किया।
व्यास जी ने सांसारिक मां के प्रेम को समझाते हुए कहा कि मां का प्रेम कभी बूढ़ा नहीं होता। नयी नयी पत्नी के प्रेम का उदाहरण देकर इसे समझाया कि शुरू शुरू में पत्नी चंद्रमुखी लगती है, उसके बाद सूर्यमुखी,और उसके बाद ज्वालामुखी । मां का प्रेम हमेशा एक जैसा रहता है।वो हर स्थिति में एक सा रहता है। उसकी संतान चाहे कैसी भी क्यों न हो।उसका प्रेम एक सा होता है। व्यास जी ने कहा कि कभी बूढ़े मां बाप को देखो जिनके बच्चे भी बूढ़े हो चुके हो तो मां सबसे पहले अपने बेटे के हाथों को देखती है,और पत्नी जेब को देखती है, मां फिर उसके चेहरे को देखती है। मां के इस प्रेम को समझना बहुत ही कठिन है। क्या कोई अपने प्रेम को व्यक्त कर सकता है। सांसारिक मां जब इतना प्रेम करती है तो जगत जननी का प्रेम उसकी तो कोई थाह ही नहीं है। मां कि कृपा पाने के लिए गोपियां कात्यायनी के दरबार में जाती हैं, श्री कृष्ण को पाने के लिए। मां जानकी श्रीं राम को पाने के लिए मां गौरी के मन्दिर में जाती है। उन्होंने श्रृद्धालु भक्त जन से कहा कि अपने ईष्ट का स्मरण करें तो शक्ति कि भी आराधना अवश्य करें।
इसके बाद महिशासुर कि कथा के कई प्रसंगों को कुमाऊं भाषा में और कुछ श्लोकों का कुमाऊंनी में अनुवाद भी गा कर सुनाया।
कर्ण के चरित्र, कर्ण कि दानवीरता तथा अर्जुन श्रीकृष्ण के द्वारा कर्ण के जीवन के अन्तिम समय में परीक्षा ली ब्राह्मण बनकर कर्ण से दान मांगा और कर्ण ने अपने दांत अपने हाथों से तोड़कर उसमें लगे सोने का दान दिया। श्री कृष्ण ने अपने हाथों में चन्दन की चिता जलाकर कर्ण का अन्तिम संस्कार किया और अर्जुन से कहा कि आज दान का सूर्य अस्त हो गया। व्यास जी ने दान और दक्षिणा के महत्व को और इसके अन्तर को भी समझाया। इसके बाद मां के प्रकटीकरण का सजीव वर्णन किया। इसके बाद रक्त बीज , शुंभ-निशुंभ का वध ।
व्यास जी ने कहा कि कर्म को समझने के लिए गीता का ज्ञान होना चाहिये।
इसके बाद भोग के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
व्यास जी ने कहा कि
कल कथा के सप्तम दिवस कि कथा का शुभारंभ ३ बजे से ६ बजे तक होगा। इस उपलक्ष्य पर श्री मां नयना देवी अमर उदय ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, घनश्याम लाल साह, प्रदीप साह, महेश लाल साह, हेमन्त साह, श्याम यादव, राजीव दूबे, भीम सिंह कार्की, सुमन साह, अमिता साह , मीनू बुधलाकोटी तथा श्री मां नयना देवी मंदिर के समस्त आचार्य बसन्त बल्लभ पाण्डे, चन्द्र शेखर तिवारी, भुवन चंद्र काण्डपाल,व शैलेन्द्र मिलकानी, गणेश बहुगुणा, नवीन चन्द्र तिवारी, बसन्त जोशी, रमेश ढैला,सुनोज नेगी, जीवन चन्द्र तिवारी, राजेन्द्र बृजवासी, राहुल मेहता,तेज सिंह नेगी आदि कर्मचारी भी मौजूद रहे।
कल सप्तम दिवस के इस महा यज्ञ में आप सभी श्रृद्धालु भक्त जन सादर आमंत्रित हैं।
मां नयना देवी आप सभी का मनोरथ सिद्ध करें।