विधान सभा का मानसून सत्र महज दो दिन चलने से अत्यधिक दुखी व क्षुब्ध हैं-पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत,कांग्रेस की सरकार 2027 में आई तो गैरसैण बनेगी स्थाई राजधानी
नैनीताल । पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विधान सभा का मानसून सत्र महज दो दिन चलने से अत्यधिक दुखी व क्षुब्ध हैं । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सदन की संवैधानिक मान्यता व सदन की सामूहिक समझ को हास्यास्पद बना दिया है। सरकार सदन में हुई गलतियों को सुधारने के तत्काल पुनः सत्र बुलाये । उन्होंने कहा कि 2027 में कांग्रेस की सरकार आएगी तो गैरसैण को स्थाई राजधानी बना दी जाएगी।
नैनीताल में पत्रकारों से वार्ता में हरीश रावत ने कहा कि विधान सभा के कार्य दिवस कम करने से उन्हें घोर निराशा हुई है। सरकार ने महज तीन दिन का सत्र बुलाया । जिसमें से पहला दिन दिवंगत विधायकों को श्रद्धांजलि देने के लिये था और केवल दो दिन सत्र चला । जो अत्यधिक समस्याग्रस्त राज्य के मुद्दों को सदन में रखने के लिये नाकाफी था । इससे विधायकों की योग्यता भी सदन में नहीं परखी जा सकी । इससे भी अधिक दुःखद आपदा से सम्बंधित समस्याओं व महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर चर्चा न होना है। आपदा को लेकर केवल आधे घण्टे की चर्चा हुई। महिला हिंसा व उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं। काशीपुर में नर्स के साथ दुराचार के बाद हत्या व देहरादून में एक नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप ताजा प्रकरण हैं। जिन पर सदन में चर्चा के बाद सामूहिक सन्देश जारी होना चाहिए था लेकिन इस मामले में चर्चा ही नहीं हुई । उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि ये मामला सामान्य कानून व्यवस्था का न होकर नारी सम्मान का प्रश्न है। कहा कि सरकार के इस रवैय्ये ने राज्य के निर्माण की बुनियादी भावना की ईंटें हिला दी हैं। उन्होंने इस मामले में धारचूला के विधायक हरीश धामी के गुस्से व रोष को जायज बताया ।
राज्य में लगातार निकाय चुनाव टालने पर कटाक्ष करते हुए हरीश रावत ने कहा कि यह सरकार चुनाव से डरी व सहमी हुई है। उसे निकायों की संवैधानिकता की समझ नहीं है । निकायों के बारे में पहले से पारित विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का फैसला हास्यास्पद है। पहले से पारित विधेयक को प्रवर समिति को नहीं भेजा जाता
है। वरन उसे पुनः सदन में लाकर शून्य घोषित करना होता है और फिर विधेयक लाना होता है। लेकिन सरकार चुनाव से भागने के लिये इस तरह के निर्णय लेकर विधान सभा की हंसाई कराई है।
उन्होंने अनुसूचित जाति व जनजाति द्वारा पिछले दिनों किये गए भारत बंद के आह्वान के सम्बंध में कहा कि केंद्र सरकार को बंद की इस भावना को समझना होगा । कहा कि आरक्षण की व्यवस्था सैकड़ों वर्षों से पीड़ित व वंचित लोगों को न्याय दिलाने व दूषित मानसिकता का प्रायश्चित करने का उपाय था ।
पत्रकार वार्ता में पूर्व दर्जा राज्य मंत्री डॉ. रमेश पांडे, नगर अध्यक्ष अनुपम कबड़वाल, महिला जिलाध्यक्ष खष्टी बिष्ट, पूर्व पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी मंटू, डॉ. सरस्वती खेतवाल,
हिमांशु पांडे, सुभाष चंद्रा,
मुन्नी तिवारी, सावित्री सनवाल, रईस अहमद, धीरज बिष्ट, विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमलेश तिवारी, रविन्द्र बिष्ट, रमन शाह, राजेन्द्र व्यास, दीपक टम्टा आदि मौजूद थे ।